गिद्धों के संरक्षण के कारगर प्रयास
 (विशष लेख)
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    पारिस्थितिकीय संतुलन में गिद्ध की महत्वपूर्ण भूमिका है। जानवरों का सड़ा, बदबूदार माँस और गंदगी मिनटों में चट कर ये पर्यावरण को स्वच्छ और सम्पूर्ण पृथ्वी को महामारी से बचाते हैं। भारत सहित विश्व में गिद्धों की चिंतनीय ढंग से कम हुई संख्या को देखते हुए मध्यप्रदेश में गिद्धों के संरक्षण के कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। गिद्धों को विलुप्तप्राय बनाने में सबसे बड़ा कारण डायक्लोफिनेक नामक दवा की मृत पशु अवशेषों में मौजूदगी है।
   मध्यप्रदेश में 7 प्रजाति के, भारत में 9 और विश्व में 22 प्रकार के गिद्ध पाये जाते हैं। प्रदेश में सफेद गिद्ध, चमर गिद्ध, देशी गिद्ध, पतल चोंच गिद्ध, राज गिद्ध, हिमालयी गिद्ध, यूरेशियाई गिद्ध और काला गिद्ध की मौजूदगी मिली है।

सफेद गिद्ध

   सफेद गिद्ध (Egyptian Vulture) मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखण्ड में भी दिखाई पड़ता है।
वर्णन - छोटे गिद्ध, जिनमें लम्बे नुकीले पंख, छोटा नुकीला सिर तथा फनाकार पूँछ। वयस्क मुख्यत: मटमैले-श्वेत, जिनका मुँह पंख-रहित पीताभ तथा उड़ान-पंख काले। तरुण काले-भूरे, जिनका मुँह पंख-रहित धूसर। वयस्कता के साथ-साथ पूँछ, शरीर तथा पर पंखनी सफेद तथा मुँह पीताभ होते चले जाते हैं। मानव आवासीय स्थलों के समीप खुले स्थानों में व्याप्त। हिमालय में 2500 मी. की ऊँचाई तक दिखाई देते हैं। सम्भवत: अब यह क्षेत्र (फील्ड) का सबसे आम गिद्ध है। भोजन की तलाश में व्यापक क्षेत्रों का भ्रमण करता है। घोसला चट्टानों, पेड़ों तथा पुराने भवनों में बनाता है।